बकरी पालन कैसे करे? पूरी जानकारी

Bakri Palan Kaise Kare? दोस्तों आज इस पोस्ट में हम बकरी पालन की पूरी जानकारी हासिल करेंगे अगर कोई बकरी पालन का व्यवसाय शुरू करना चाहता है तो हमारे इस पोस्ट को जरुर पढ़े. बकरी पालन का व्यवसाय ज्यादातर ग्रामीण क्षेत्रों में देखा जाता है. यह एक ऐसा व्यवसाय है जिसमे कम से कम इन्वेस्टमेंट में ज्यादा का मुनाफा देखा जाता है. अगर कोई व्यक्ति बकरी पालन कैसे करे, बकरी पालन के फायदे, बकरी पालन व्यवसाय के लिए इन्वेस्टमेंट, बकरी पालन के लिए क्या जरुरी है इन सभी बातों की जानना चाहता है तो हमारे इस पोस्ट को पढ़े. चलिए अब जानते है बकरी पालन कैसे करे पूरी जानकारी.

bakri palan

हमारे देश में पशु पालन सदियों से चला आ रहा है और ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी इसे बड़े पैमाने पर किया जाता है. बकरी पालन भी पशु पालन का ही एक हिस्सा है जिसमे कम पूंजी में ज्यादा मुनाफा देखा जाता है. बकरी काफी शांत जानवर होता है जो किसी भी वातावरण में खुद को आसानी से ढ़ाल लेते है. अगर कोई व्यक्ति बकरी पालन करता है तो इसका रहन सहन करना किसी अन्य जानवर के मुकाबले काफी आसान और सस्ता है. आप बकरी पालन करके इन तरीको से पैसा कमा सकते हो.

  • बकरी दूध को बेचकर
  • बकरी मांस को बेचकर
  • बकरी की ऊन व खाल बेचकर
  • बकरी की मींगणियों को खाद के रूप में बेचकर

तो यह कुछ तरीके है जिससे बकरी पालन करके पैसा कमाया जा सकता है. लेकिन हर किसी को बकरी पालन की जानकारी नहीं होती जिस वजह से वह इस व्यवसाय को करने में असमर्थ होते है. अगर आपको बकरी पालन की जानकारी हो तो इससे रोजगार न मिलने की समस्या भी दूर हो जाती है इसलिए चलिए पोस्ट पढ़े और जानकारी हासिल करे.

बकरी पालन कैसे करे: पूरी जानकारी

बकरी की प्रजातियां:

बकरी पालन व्यवसाय शुरू करने से पहले हमें उनके विभिन्न प्रजातियों की जानकारी होनी चाहिए. बकरी के प्रजातियां भी काफी जरुरी है क्यूंकि सभी प्रजातियों की अपनी एक ख़ास बात होती है. आप जिस काम के लिए बकरी पालन करना चाहते है उस काम के लिए कौन सी प्रजाति ज्यादा उपयुक्त है उसके बारे में जान लेना चाहिए.

  • जमुनापारी बकरी: इस प्रजाति की बकरी दूध और मांस के लिए जाने जाते है लेकिन इन्हें ज्यादातर दूध के लिए ही पालन किया जाता है. जमुनापारी बकरी चारा कम खाती है लेकिन एक दिन में 2 से 3 लीटर तक दूध दे सकती है. इस प्रजाति को उत्तर प्रदेश में अधिकतर पाया जाता है. यह साल में एक बार बच्चे को जन्म देती है लेकिन जुड़वे बच्चे जन्म लेने की भी संभावना रहती है. जमुनापारी बकरे का वजन 65-90 किलो के बीच हो सकता है वहीं जमुनापारी बकरी का वजन 40-60 किलो के बीच हो होता है. जमुनापारी बकरी की कीमत Rs 300 प्रति किलोग्राम तक हो सकती है.
  • सि‍रोही बकरी: इस प्रजाति का नाम राजस्थान के एक जिले सिरोही से लिया गया है. इसे सिरोही के अलावा जयपुर, अजमेर और यूपी में भी पाया जाता है. इस प्रजाति के बकरी को ज्यादातर मांस के लिए पाला जाता है. लेकिन यह दूध भी ठीक ठाक देती है जो की लगभग 1 लीटर रोजाना है. यह गर्म मौसम में भी खुद को आसानी से ढ़ाल लेते है और बहुत तेजी से बढ़ते है. यह साल में दो बार बच्चो को जन्म देती है और ज्यादातर संभावना होती है की जुड़वां बच्चे जन्म लेंगे. सिरोही बकरी की कीमत 350 रुपये प्रतिकिलो और बकरे की कीमत 400 रुपये प्रतिकिलो होती है.
  • बरबरी बकरी: इस प्रजाति के बकरी मांस तथा दूध उत्पादन हेतु उपयुक्त है. यह एक साल में दो बार बच्चे जन्म देती है और 3 से 4 बच्चे जन्म दे सकती है. यह उत्तर प्रदेश के एटा, मैनपुरी, इटावा, आगरा, मथुरा के क्षेत्रों में ज्यादा पाए जाते है. इस प्रकार के बकरी गर्मी, बरसात, सर्दी हर तरह के मौसम में खुद को ढ़ालने में सक्षम होते है. बरबरी बकरे का औसत वजन 35-40 किलो तथा बकरी का वजन 25-30 किलो तक हो सकता है.
  • बीटल बकरी: इस प्रजाति को अधिकतर पंजाब के गुरदासपुर, अमृतसर और फिरोजपुर जिलों में पाया जाता है. इसका पालन दूध अथवा मांस दोनों उद्देश्यों के लिए किया जाता है. बीटल बकरे का वजन 50-60 किलो और बकरी का वजन 35-40 किलो तक होता है. बीटल बकरी से रोजाना 2 लीटर तक दूध उत्पादन किया जा सकता है. यह बकरी एक साल में चार बच्चे तक जन्म दे सकती है जिनकी कीमत करीब तीन हजार रूपए प्रति मेमना होती है.
  • ब्लैक बंगाल: यह प्रजाति अधिकतर बिहार, उड़ीसा और पश्चिमी बंगाल में पाई जाती है. यह ज्यादातर काले रंग में पाए जाते है लेकिन इसके अलावा भूरे, सफेद और सलेटी रंग के भी हो सकते हो. इनकी दूध उत्पादन क्षमता काफी कम होती है इसलिए इन्हें मांस के लिए उपयोग किया जाता है. ब्लैक बंगाल बकरे का वजन 25-30 किलो और बकरी का वजन 20-25 किलो तक हो सकता है. यह बकरी काफी तेजी से बड़ी होती है और दुनिया की सबसे अधिक प्रजनन क्षमतावाली बकरी है. यह एक बार में 2 से 3 बच्चे जन्म देती है और एक साल में दो बार प्रजनन करती है.
  • अफ्रीकन बोर: यह प्रजाति साउथ अफ्रीका में पाया जाता है लेकिन इसका पालन इंडिया में भी खूब किया जाता है. इसकी सबसे ख़ास बात यह है की इनका वजन काफी तेजी से बढ़ता है जिस वजह से इन्हें अधिकतर मांस के लिए उपयोग में लाया जाता है. अफ्रीकन बोर बकरे का वजन 110-115 किलो और बकरी का वजन 90-100 किलो तक हो सकता है.

बकरी पालन की जगह:

अगर आप बकरी पालन व्यवसाय शुरू करना चाहते है तो इसके लिए प्रयाप्त जगह की भी आवश्यकता पड़ती है. बकरी पालन के लिए जगह का चुनाव काफी महत्वपूर्ण होता है इसके लिए आपको कुछ बातें ध्यान में रखनी होती है.

  • शहर में बकरी पालन करने से ज्यादा बेहतर ग्रामीण इलाकों में करे इससे जमीन भी सस्ते दाम में मिल जाता है और श्रम लागत भी कम होता है.
  • जमीन ऐसी होनी चाहिए जहा शुद्ध हवा और साफ़ पानी की सुविधा उपलब्ध हो.
  • जमीन ऐसी हो जहा घास, फसल या कोई अन्य हरा पौधा आसानी से उगाया जा सके. इससे बकरी के आहार का खर्चा काफी हद तक कम किया जा सकता है.
  • जिस जगह बकरी पालन कर रहे हो वहा आस पास मार्किट की सुविधा हो तो काफी अच्छा है. इससे बकरियों के लिए जरुरी वस्तुएं लाने में आसानी होगी.
  • आस पास यातायात की सुविधा भी उपलब्ध होनी चाहिए इससे व्यवसाय को सुचारू रूप से चलाने में आसानी होगी.
  • इस बात को सुनिश्चित कर लेना चाहिए की बकरी की दवाई और टीका आपके आस पास मार्किट में उपलब्ध हो. अगर ऐसा नहीं है तो अपने फार्म में ही सभी प्रकार के आवश्यक टीकों और दवाओं का स्टॉक करें.

बकरी का आहार:

बकरी पालन का उद्देश्य चाहे दूध, मांस, खाल, या ऊन उत्पादन हो इन सभी की पूर्ति के लिए आहार काफी मायने रखता है. अगर आप चाहते है बकरी ज्यादा दूध उत्पादन करे, एक बार में 2 से 3 बच्चे पैदा करे, बकरी का वजन बढ़ाना चाहते हो या फिर किसी और उद्देश्य के लिए आप बकरी पालन कर रहे है. इन सभी का उचित परिणाम तभी मुमकिन है जब आप इनके आहार का पूरा ख्याल रखते हो. बकरी के आहार में प्रोटीन, विटामिन और मिनरल जैसे पौष्टिक तत्त्व मोजूद होने चाहिए. इसके अलावा बकरी को हरी पत्तियाँ, हरी घास, चुनी, चोकर देना भी उचित माना जाता है.

बकरियों का टीकाकरण:

जिस तरह मनुष्य में बिमारियों का खतरा होता है उसी प्रकार बकरियों में भी बीमारी पाई जाती है. इसके रोकथाम के लिए टीकाकरण आवश्यक माना जाता है. यह टीका सही समय पर लगाया जाये तभी इसका फायदा होता है चलिए कुछ जरुरी टीकाकरण के बारे में जानते है.

  • पाँव और मुँह के रोग: बकरियों में पाँव और मुँह से सम्बंधित रोग पाए जाते है. इसके रोकथाम के लिए एफएमडी नाम का वैक्सीन आवश्यक माना जाता है. इस टीके को दो से चार महीने की उम्र मे लगाये जाते है फिर इसे 4 से 6 महीने बाद दोहराया जाता है.
  • इंटरटॉक्सेमिया: यह बीमारी काफी सामन्य रूप से बकरियों में देखि जाती है. इस बीमारी में क्लॉस्ट्रीडियम नामक बैक्टीरिया बकरी में पेट दर्द की समस्या को जन्म देता है जिस वजह से बकरी खाना बंद कर देती है. यह बहुत बार घातक साबित भी हो सकता है. इसका टीकाकरण पहले 2 हफ्ते में मिलने चाहिए उसके बाद हर महीने इसे दोहराया जाता है.
  • गोट पॉक्स: यह बीमारी भी बकरियों में पाई जाती है जो की जानलेवा होती है. इस बीमारी से बचाव के लिए पहले 3 महीने में टीकाकरण जरुरी है उसके बाद हर साल इसे दोहराया जाता है.
  • गोट प्लेग: यह एक वायरल बीमारी मानी जाती है जो काफी तेजी से फैलती है और जानलेवा होती है. इसके रोकथाम के लिए पीपीआर नामक वैक्सीन पहले 3 महीने में दिया जाता है उसके हर 3 साल बाद इसे दोहराया जाता है.

टीकाकरण सही समय पर किया जाना चाहिए बीमार होने के बाद वैक्सीन लगाने से इसके दुस्प्रभाव भी हो सकते है. वैक्सीन का एक्सपायरी डेट भी चेक करना जरुरी है वरना वह असर नहीं दिखाते. वैक्ससीन पर दी गयी निर्देश का पालन करे और कभी भी दो वैक्सीन एक साथ न मिलाये. सभी वैक्सीन का रिकॉर्ड रखे ताकि आपको याद रहे इसे कब दोहराना है.

बकरी की मार्केटिंग:

अपने व्यवसाय में आमदनी के लिए मार्केटिंग काफी महत्वपूर्ण है. अगर आप बकरी पालन की सभी विधि सिख चुके है और आपके पास अधिक मात्रा में बकरी मोजूद है तो उनके आपको अच्छे पैसे मिल सकते है. इंडिया में बकरी के दूध और मांस की काफी डिमांड रहती है इसके अलावा इनके खाल, ऊन और खाद को भी बेचा जा सकता है. बहुत से व्यापारी आपको मिल जायेंगे जो बकरी खरीदने में दिलचस्पी रखते है आप चाहे तो इन्हें सीधा कसाईखाना में भी बेच सकते है. बहुत से व्यापारी इसे सस्ते दामों में खरीदकर बाजार में ज्यादा दाम पर बेच देते है इसलिए ज्यादा मुनाफा के लिए सीधा बाजार से संपर्क करे.

बकरी पालन के लाभ:

  1. यदि आप बकरी पालन को किसी अन्य पशुपालन से तुलना करे जैसे की गाय या भैस तो आपको ज्ञात होता है की यह ज्यादा सरल है. बकरी पालन में आपको उतनी जगह की आवश्यकता नहीं होती जितनी गाय या भैंस पालन के लिए चाहिए.
  2. बकरी पालन को बहुत से उद्देश्य से किया जा सकता है जैसे की दूध, मांस, खाल, ऊन और खाद.
  3. अगर हम इनके आवास, आहार और ट्रीटमेंट के खर्चे की बात करे तो यह ज्यादा नहीं होती.
  4. बकरी पालन को कम इन्वेस्टमेंट में के साथ ही काफी हद तक बढ़ाया जा सकता है क्यूंकि एक बकरी हर साल लगभग 2-3 बच्चे जन्म दे सकती है.
  5. मार्केटिंग के लिए आपको चिंता करने की जरुरत नहीं होती क्यूंकि बकरी और इसके प्रोडक्ट की डिमांड हमेशा मार्किट में दिखाई देती है इसके अलावा ईद जैसे त्यौहार में तो इसकी डिमांड आसमान छूती है.
  6. यह काफी कम समय में विकसित हो जाते है और इन्हें बेचा जा सकता है.
  7. अधिकतर बकरी की प्रजाति हर तरह के वातावरण में अनुकूल होते है जैसे की सर्दी, गर्मी और बरसात.

बकरी पालन से जुड़ी जरुरी बातें:

  1. बकरी का सही समय पर टीकाकरण करवाना आवश्यक है.
  2. अगर कोई बकरी कमजोर व बीमार नजर आये तो उन्हें उचित उपचार की जरुरत है. इसके अलावा आपको इन्हें दुसरे बकरियों से अलग रखना चाहिए.
  3. बकरियों के आहार में प्रोटीन, विटामिन और मिनरल की उचित मात्रा होनी चाहिए इसके अलावा उन्हें हरी पत्तियाँ, हरी घास, चुनी, चोकर भी देना चाहिए.
  4. अपने उद्देश्य और व्यवसाय के नजरिये से प्रजाति का चुनाव करे जैसे की ज्यादा दूध के लिए जमुनापारी प्रजाति और मांस के लिए अफ्रीकन बोर.
  5. इस व्यवसाय में पहले से जो व्यक्ति है उनसे इस बात की जानकारी लेनी चाहिए की मार्किट में किस प्रजाति की ज्यादा डिमांड है.
  6. अगर आप कम बकरियों के साथ इस व्यवसाय को करते है तो इनकम ज्यादा नहीं होगी इसलिए ज्यादा मुनाफा के लिए 100 बकरियों के साथ इसकी शुरुवात करे.

Final Words:

तो दोस्तों आज हमने जाना Bakri Palan Kaise Kare बकरी पालन की पूरी जानकारी हिंदी में. आप इस व्यवसाय को 4 लाख जितनी लागत से शुरू कर सकते हो और शुरुवाती आमदनी आपकी 1.5 से 2 लाख प्रतिवर्ष हो सकती है जो हर साल धीरे-धीरे बढ़ती है. अगर आप बकरी पालन को अपना प्रोफेशन बनाना चाहते है तो मैं आपको सलाह दूंगा कि आप गोट फार्मिंग में दाखिला ले सकते है. यहाँ आपको बकरी पालन प्रैक्टिकल तरीके से सिखाया जाता है जिसमे नस्ल, खान पान, देखभाल आदि पर ज्यादा जोर दिया जाता है. इसके लिए सबसे अच्छा प्रशिक्षण केंद्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान में दिया जाता है. यह प्रशिक्षण केंद्र उत्तर प्रदेश के मथुरा जिला में स्थित है. अगर आप इस पोस्ट में दी गयी जानकारी से संतुष्ट हो और आपको हमारा यह पोस्ट पसंद आया हो तो शेयर जरुर करे.

Hemant Joshi
Hemant Joshi

मेरा नाम हेमंत जोशी है. मैंने दिल्ली के इंजीनियरिंग कॉलेज से बी.टेक किया हुआ है. मुझे टेक्नोलॉजी और एजुकेशन क्षेत्र में काफी दिलचस्पी है. इसलिए इस वेबसाइट पर मैं लोगो को टेक्नोलॉजी तथा करियर से सम्बंधित जानकारी देता हूँ.

Articles: 158

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *